Kashi Vishwanath Temple and Gyanwapi Masjid Kaise Bane : काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद कैसे बने? आज के इस लेख में हम काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद पर चर्चा करेंगे। इनके निर्माण और इतिहास के बारे में जानेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद पर चल रहे विवादों पर प्रकाश डालेंगे और विवाद के लेटेस्ट अपडेट के बारे में आपको अवगत करवाएंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर काशी वाराणसी में स्थित है। यह शिव पार्वती का आदि स्थान माना जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगो में इसे प्रमुख व प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख उपनिषद और महाभारत में भी किया गया है। राजा विक्रमादित्य ने 11 वीं सदी में विश्वनाथ मंदिर बनवाया था।
इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को मोहम्मद गौरी ने 1194 ई में तुड़वा दिया था। इसका निर्माण दोबारा करवाया गया, परंतु 1447 में सुल्तान महमूद शाह द्वारा इसे पुनः तुड़वा दिया गया था। सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की मदद से पंडित नारायण भट्ट ने फिर से इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
औरंगजेब ने सन् 1669 में फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के लिए आदेश दिया था। कोलकाता की “एशियाटिक लाइब्रेरी” में यह फरमान आज भी सुरक्षित है।
माना जाता है कि औरंगजेब ने इस मंदिर की जगह पर ज्ञानवापि मस्जिद बनाई थी। इसके पश्चात मराठा सरदार दत्ता जी सिंधिया मल्हार राव होलकर ने मंदिर को मुक्त करवाने के प्रयास किए, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था।
1777-80 ईस्वी में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस परिसर में विश्वनाथ मंदिर को दोबारा बनवाया गया।
ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण
ऐतिहासिक तौर पर माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाने के बाद करवाया था। मस्जिद बनाने में, तोड़े गए मंदिर के अवशेष भी इस्तेमाल किए गए थे।
इतिहासकार एल पी शर्मा के अनुसार, औरंगजेब ने उस समय बहुत सारे हिंदू मंदिरों और पाठशालाओं को तोड़ने के आदेश भी दिए गए थे। इतिहासकार का मानना है कि खासतौर पर उत्तर भारत के मंदिर जैसे बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशव देव मंदिर, पाटन का सोमनाथ मंदिर और प्राय: सभी बड़े मंदिर इस आदेश के बाद ही तोड़े गए थे। इतिहासकारों के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर के अवशेषों के द्वारा बनाई गई है।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
सन् 1984 में इस विवाद की शुरुआत हुई। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का मामला सन् 1991 में अदालत पहुंचा था। यह मामला हिंदुओं की तरफ से रखा गया था। जिसमें हिंदू पक्ष का कहना था कि मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई गई है इसलिए वह जमीन हिंदुओं को वापस कर दी जाए। इस विवाद की सुनवाई अब तक भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही है।
इस विवाद के पक्ष में देश भर के 500 से ज्यादा संत दिल्ली में इक्कठे हुए और उन्होंने वहां से धर्म संसद की शुरुआत की। धर्म संसद में एलान किया गया कि हिंदू पक्ष अयोध्या, मथुरा और काशी में अपने धर्म स्थलों पर दावा करना शुरू कर दें।
सन् 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ राम शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में, वकील विजय शंकर रस्तोगी की मदद से याचिका दायर की।
“इस याचिका में तर्क दिया गया कि काशी विश्वनाथ का मंदिर था जिसे लगभग 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। सन् 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह मस्जिद बनवाई। इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही प्रयोग किया गया।” हिंदू समुदाय ने इस याचिका में मंदिर की जमीन को वापस करने की मांग की थी।
याचिका के पश्चात, ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इन जामिया इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गई, उन्होंने दलील दी कि प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट के तहत विवाद में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। इसीलिए हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
Latest Update ऑन काशी विश्वनाथ टेंपल एंड ज्ञानवापी मस्जिद
हाईकोर्ट की अदालती कार्यवाही पर रोक लगने के बाद करीब 22 साल तक मामला लंबित पड़ा रहा। साल 2019 में वकील विजय शंकर रस्तोगी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर से याचिका दायर की और मांग की कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया जाए।
कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को सर्वे करने की अनुमति दी है। 6 मई 2022 को सर्वे टीम मस्जिद परिसर में पहुंची, जहां उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई थी। हिन्दू तथा मुस्लिम, दोनों पक्षों ने नारेबाजी करनी शुरू कर दी थी। जिससे माहौल गरमा गया, हालांकि पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत करवाया।
ज्ञानवापी मस्जिद में टीम ने सर्वे किया है और वह अपनी रिपोर्ट 10 मई 2022 को कोर्ट में पेश करेगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापि मस्जिद केस के प्रमुख बिंदु
- सन् 1991 में पहली बार मुकदमा दाखिल कर पूजा करने की अनुमति मांगी गई।
- सन् 1993 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया।
- सन् 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे आर्डर की वैधता 6 महीने के लिए बताई।
- सन् 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई।
- सन् 2021 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद पर चल रहे विवाद के बारे में चर्चा की। इनके निर्माण के बारे मे जाना। आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी, कॉमेंट बॉक्स मे लिखकर जरूर बताएं।
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