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Makar Sankranti 2025

Makar Sankranti 2025 की यह छः बातें सबको पता होना चाहिए

Makar Sankranti 2025, मकर संक्रांति तब मनाई जाती है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है, और इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा. जानेमाने ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल मकर संक्रांति पर्व और भी खास होगा।

संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में मुख्य फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा और पंजाब 13 जनवरी की पूर्व संध्या पर लोहड़ी मनाते हैं। इस दिन स्नान और  दान किया जाता है। तिल और गुड के पकवान बांटे जाते है। पतंग उड़ाई जाती है । मकर संक्रांति तो सभी मनाते हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को इस त्योहार के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है। तो आइये जानते है (Makar Sankranti 2025)  मकर राशि के बारे में कुछ रोचक तथ्य

1 . Makar Sankranti क्यों कहते हैं?

Makar Sankranti मुख्य रूप से सूर्य के पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते  है, सूर्य देव इस दिन एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते है जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है

2 . सूर्य उत्तरायण (Surya Uttarayan)

इस दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन की लंबाई बढ़नी और रात की लंबाई छोटी होनी शुरू हो जाती है। भारत में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। अत: मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।

3 . पतंग महोत्सव (Kite Festival)

सुबह सूर्य उदय के साथ ही पुरे भारत में पतंग उड़ाना शुरू हो जाता है । पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।

4 . तिल और गुड़ का पर्व (sesame and jaggery festival)

सर्दी के मौसम में  तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग जल्दी लगते हैं। इस कारण इस दिन गुड और तिल से बने मिष्ठान/ पकवान  खाए जाते हैं। तिल और गुड में  गर्मी पैदा करने वाले तत्व के साथ शरीर के लिए लाभदायक पोषक तत्व भी होते हैं। इसलिए इस दिन खासतौर से तिल से और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं।

5 . स्नान, दान, पूजा का पर्व (bath, charity, worship)

मान्यता यह है  की इस दिन सूर्य अपने पुत्र भगवन शनि से नाराजगी को  त्याग कर उनके घर गए थे। जिस कारण  इस दिन को सुख और समृद्धियो का माना जाता है। और इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुणा हो जाता है। इस दिन गंगा सागर और कई पवित्र नदियों के किनारे मेला भी लगता है।

6 . फसलें लहलहाने के ख़ुशी का पर्व

यह पर्व पूरे भारत के साथ-साथ नेपाल में रबी फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है। इस समय  सभी जगह खरीफ की फसलें कट चुकी होती है और खेतो में रबी की हरी फसलें लहलहा रही होती है। खेत में पिले पिले सरसो के फूल मनमोहक लगते हैं। पूरे देश में इस समय मकर संक्रांति की ख़ुशी होता है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग  तरीकों से मनाया जाता है। पोंगल के रूप में दक्षिण भारत में इस त्यौहार को  मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी तो मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।

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